Tuesday, June 16, 2009

सुरैया और देवानंद और .......

सुरैया के बारे में मैं भी उतना ही जानता था जितना और सभी लोग , लोगों का मतलब रेडियो सुनने वाले हैं। सुरैया की आवाज़ को और शायद ही कोई अन्य माध्यम से देखने सुनने वाला जानता हो । संगीत कभी ख़त्म नही होता। सच है। मुझे कल पता लगा की सुरैया कुछ साल पहले ही मर चुकी है ।
उनकी जीवन यात्रा संक्षिप्त में इस तरह है :
इकलौती थीं , बेटी थीं ,दुलारी भी रही होंगी । फिल्मो में काम किया, सोचिये उस समय कितना कठिन काम रहा होगा। बला की ख़ूबसूरत थीं । एक साथ में काम करने वाले हीरो से प्यार कर बैठीं । वो हीरो देवानंद थे। काफी अरसे तक मोहब्बत ने इंतजार किया । पर इकलौती बिटिया ने एक आखरी दिवार नही लांघी। मोहब्बत का दामन सुरैया ने नही छोड़ा । उन्होंने कभी शादी नही की। २००४ में वो नही रहीं । कैसा कठिन फ़ैसला रहा होगा यूँ अकेले रहना। आप सोचिये हजारों शामे, सुबहें और रातें ।
मैंने उस पल के बारे में सोचा जब उन्होंने दो दो वफायें निभायीं माँ ,बाप से और देव साहब से ,
देव साहब तो कुवांरे न रहे और माँ बाप ने भी जन्नत का रास्ता चुना............. दोखज़ से डरते थे ,पर बिटिया के दर्द से नही ,
सुरैया जी आपसे कभी मिलूंगा तो मैं आपसे पूछूंगा की की ये मोहब्बत थी किसकी ? सिर्फ़ आपकी?
ये मोहब्बत थी ?
ये तो खामोशी थी
एक कमज़ोर की
एक औरत की।

3 comments:

नीरज गोस्वामी said...

देव आनंद और सुरैया के किस्से उस वक्त सबकी जबान पर थे...सुरैया की नानी उनकी राह का रोड़ा बन गयीं...देव ने उसका दामन छोड़ गीता बाली को थाम लिया लेकिन सुरैया तन्हा ही रहीं...उन्होंने कभी इस दुःख को सार्वजनिक नहीं किया...वो महान थीं इसमें कोई शक नहीं...
नीरज

Rohit Singh said...

सुरैया ने मोहब्बत की वो उंचाई छुई ..जिसे ग्लैमर की दुनिया के बाशिंदे नहीं छु पाते....देवसाहब की क्या मजबूरी रही ये तो वही बताएंगे....एक फिल्मफेस्टिवल में फेमस जोडे स्टेज पर आ रहे थे मोहब्बत की दुनिया के दो महान जोडे नहीं आ पाए, सुरैया-देवानंद और अमिताभ-रेखा, ..... सुरैया की मोहब्बत अपने पूरे रंग में रही, उनकी मोहब्बत ने त्याग का वो रास्ता चुना जो उसे खुदा की दी हुई पाकिजगी प्रदान करता है....

Asha Joglekar said...

तेरे प्यार में.......................